आज के दिन श्री कृष्ण और गोवेर्धन भगवान को 56 भोग लगाया जाता है इसी कारण से गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है ! इस दिन गोवर्धन महाराज की की प्रतिमा बनाई जाती है ! गोवेर्धन भगवान की प्रतिमा गाये के गोबर से बनायीं जाती है गोवेर्धन पूजा का हिन्दू धर्म में बहुत महत्त्व है ! गोवर्धन पूजा के दिन गाय की पूजा की जाती है आज के दिन त्यौहार को अच्छे से मनाने के लिए घरों में तरह-तरह के पकवान और मिठाइयां बनती हैं। भगवान श्री कृष्ण को जो भी पसंद होता है , वो सब भोग के रूप में बनाया और चढ़ाया जाता है। यह पर्व बृज में स्थित गोवर्धन पर्वत और श्रीकृष्ण की पूजा का त्योहार है। गोवर्धन पूजा से जुड़ी कहानी बहुत ही रोचक है।
गोवर्धन पूजा बृज में स्थित गोवर्धन पर्वत और श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ी कहानी है। इस कारण हर वर्ष गोवर्धन पूजा की जाती है। एक बार बृज में अत्याधिक वर्षा हो रही थी जिस कारण बृज वासियो को काफी परेशानी हो रही थी तो तभी भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण ने गोवेर्धन पर्वत को अपनी ऊँगली पर उठा लिया था पर्वत के निचे सभी पशु पक्षी और बृजवासियों ने अपनी जीवन रक्षा हेतु उस पर्वत के नीचे शरण ले ली थी उसके बाद से ही गोवर्धन पूजा की परंपरा शुरू हुई !
बहुत अधिक वर्षा होने के कारण गांव वासी परेशान हो गए थे। तब भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था। पर्वत के नीचे सभी बृजवासी, पशु-पक्षी जीवन की रक्षा हेतु शरण में आ गए थे। उसके बाद से ही गोवर्धन पूजा की परंपरा की शुरूआत हुई।
श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत से जुड़ी कहानी
दरअसल, बृजवासी वर्षा कराने के लिए इंद्र देव की पूजा किया करते थे। एक बार की बात है जब माँ यशोदा इंद्रदेव की पूजा के लिए प्रसाद बना रही थीं। श्री कृष्ण के प्रसाद मांगने पर यशोदा माँ ने पूजा के बाद खाने को कहा। इस बात पर श्री कृष्ण ने यशोदा माँ से कहा की हमारे पशु पक्षियों को तो भोजन गोवेर्धन पर्वत पर मिल जाता है और गोवेर्धन पर्वत हर मौसम में हम बृजवासियों की रक्षा करता है तो हम सभी बृजवासी पूजा इंद्रदेव की ही क्यों करते है पूजा तो गोवर्धन पर्वत की भी करनी चाहिए ! इस बात से इंद्रदेव रुष्ट हो गए और फिर उन्होंने बृज बहुत तेज वर्षा कर दी! इस बात पर श्री श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली से पर्वत उठा लिया और बृजवासियों की रक्षा की !